5 important things to develop Communication Skills

FIVE IMPORTANT THINGS TO DEVELOP COMMUNICATION SKILLS


S - Supportive Talker
K - Knowledgeable Individual
I - Intelligent Questioner
L - Logical Start & End
L - Lovely Listener

Communication Skill

1) Supportive Talker (सहयोग्नात्मक व प्रेरक बातचीत)
 आज लोगो की बड़ी समस्या यह है कि लोग सुनना नहीं चाह रहे है. यदि अगला बोल रहा है तो उसे और बोलने में सहयोग या प्रेरित करने के बजाये अपना जल्द से जल्द सुनना चाह रहे है. अगले की सोच और विचार के बारे में जानना चाहते है तो उसे और बोलने के लिए प्रेरित करे. उससे सहयोग्नात्मक वार्ता करे कि और उसकी क्या विचार है. अक्सर ऐसा भी होता है कि सामने वाला भी हमारी ही बात करना चाह रहा था लेकिन हम उसे सहयोग नहीं किये और वह कुछ और ही तथ्य पर बातचीत होने लगती है!

सहयोग्नात्मक व प्रेरक बातचीत हेतु कुछ महत्वपूर्ण बाते
हमें अगले को बोलने का मौका देना चाहिए तथा उसे प्रोत्साहित करे की अपनी विचार खुल कर रखे.उसे यह विश्वास हो जाना चाहिए कि आप ही वह व्यक्ति है, जिसे वह एक मित्र या बिजनेस पार्टनर बनाना चाहता है.बातचीत का सिलसिला कभी भी एक तरफा नहीं होता, इसमें दोनों पक्षों का सहभागिता होना बहुत ही जरुरी है.नजरे मिलाकर बातचीत करना भी बहुत जरुरी होता है, जिससे उसे लगे की आप उसे सहयोग कर रहे है.बातचीत के क्रम में जो तथ्य अच्छी लगे उसे जरुर शबासी दे तथा उसे और भी ऐसी जानकारी देने हेतु प्रेरित करे!

2) Knowledgeable Individual (शिक्षित व ज्ञानी व्यक्तित्व)
    कहा जाता है कि कुछ भी बोलने से पहले यह सोचना जरुरी होता है कि हम क्या बोलने जा रहे है. क्योकि एक बार बोला गया शब्द आपस नहीं आते है. कई लोग बिना समझे कुछ भी बोलते रहते है जिनसे कोई भी बात करना नहीं चाहता है. लोग ये मान लेते है कि इसे कुछ भी आता नहीं है और ये बोलते रहता है. बात किसी और विषय का चल रहा है और बोलते कुछ और है , यानि हसुआ के विवाह में खुरपी के गीत गाते है!

शिक्षित व ज्ञानी व्यक्तित्व के लिए कुछ महत्वपूर्ण बाते
आप प्रभावी ढंग से तभी बात कर पायेंगे जब आपके पास बोलने के लिए अच्छा कॉन्टेंट या जानकारी हो.सम्बंधित विषय का जर्नल, मैगजीन, समाचार, विडियो, ब्लॉग टी\इत्यादि से अपडेट रहे.यदि आप किसी विषय से अनजान है तो सामने वाले से हमेशा सीखने का नजरिया बनाए.ध्यान रहे कि सिर्फ बोलने के लिए नहीं बोले, जब कुछ बोलने लायक हो तब ही बोले.सम्बंधित विचार आदान-प्रदान करने से हम दोनों के पास दो-दो विचार होते है!

3) Intelligent Questioner (बुद्धिमान प्रश्नकर्ता)
    कई बार हम बात करते है तो बस खुद ही बोलते जाते है. अगले से बिना कुछ पूछे अपनी बात रखते जाते है, जिससे हमें अगले के बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाती है. और आपकी बातो से सहमत है या नहीं ये भी समझ में नहीं आता है!

बुद्धिमान प्रश्नकर्ता हेतु कुछ महत्वपूर्ण बाते 
प्रश्न करना बातचीत का एक अहम पहलु होता है. इससे हमें पता चलता है कि अगला रुची ले रहा है कि नहीं.प्रश्न पूछना एक बड़ा गुण है, ये दर्शाता है कि आप एक अच्छे श्रोता ही नहीं बल्कि आप वक्ता को ध्यान से सुनकर उसका सम्मान भी करते है.प्रश्न दो तरह के हो सकते है:-Close Ended : जिनका जवाब हाँ या ना में होता है.Open Ended : जिनका जवाब देने के लिए एक से अधिक शब्द बोलने पड़ते है.कुछ प्रमुख कारण जिससे पता चलता है कि प्रश्न करना कितना जरुरी है:-यदि आपको कोई बात जाननी है, तो प्रश्न करे.यदि आपको सामने वाले की मन की स्थिति समझनी है तो प्रश्न करे.यदि आपको अपनी बातो पर हाँ या ना कहलवाना है तो प्रश्न करें.यदि आपको सामने वाले की अपेक्षा या समस्या से रूबरू होना है तो प्रश्न करे.यदि आपको विश्वास दिलाना है है कि आप बातो में दिलचस्पी दिखा रहे है तो प्रश्न करे!

4) Logical Start & End ( तार्किक शुरुआत और अंत)
   कहा जाता है कि "First impression is the las impression." . बातचीत की शुरुवात बड़ी मायने रखता है. कई लोग बिना कुछ सोचे-समझे बातचीत की शुरुवात करते है, जो सम्बंधित तथ्यों पर बातचीत के बजाये अनर्गल बाते होने लगती है. उसी तरह से एक अच्छी परिणाम के लिए बातचीत का अंत भी बहुत मायने लगता है!

तार्किक शुरुआत और अंत हेतु कुछ महत्वपूर्ण बाते
बातचीत को शुरू करना एक बहुत मुश्किल काम माना जाता है, क्योकि बातचीत शुरू करना भी एक कला है.शुरुआत करने के लिए किसी टॉपिक जैसे मौसम के बारे में, शहर के बारे में , राजनीती, शिक्षा, जहरयुक्त भोजन, स्वास्थ्य समस्या इत्यादि.बातचीत शुरू करने की देरी रहती है उसके बाद वो खुद ही गति पकड़ लेती है.अंत में सरांश में उसे समाप्त करके अपने उद्देश्य की प्रप्ति करना.शुरुआत तथा अंत दोनों ही महत्वपूर्ण होता है.Talk with Smile.बातचीत को समाप्त कर रहे है तो अगली मीटिंग, समय और स्थान का चर्चा जरुर कर ले, क्योकि बातचीत के अंत में ही आगे का रुपरेखा सही से तय हो पाती है!

5) Lovely Listener (प्यारे श्रोता)
   अक्सर हमलोग बहुत कुछ सुन लेते है, लेकिन समझ कुछ नहीं आता है. हम सुन रहे होते है तो बस इस इन्तेजार में कि वो कब अपनी बात खत्म करे की अपना सुनाना शुरू करू. कई बार तो अगले की बात खत्म नहीं हुई कि हम शुरू हो जाते है!

प्यारे श्रोता बनने लिए कुछ महत्वपूर्ण बाते
अच्छा श्रोता होना एक बहुत बड़ा गुण होता है.सुनने के लिए धैर्य होना जरुरी है.कम बोलने और ज्यादा सुनने वाले लोग ज्यादा पसंद किये जाते है.सारा ध्यान सुनने पर लगाए और यह तभी होगा जब आप अपने पास के व्यवधान को किनार कर देंगे जैसे कि मोबाइल, टीवी, छोटे बच्चे इत्यादि.बीच में हस्तक्षेप न करे ताकि सामने वाला अपने विषय से भटके नहीं.पूरी बात सुने तब ही अपना मत रखे.जरूरत लगने पर बीच-बीच में प्रश्न करे.बातचीत करते वक्त अपने बॉडीलैंग्वेज का सही इस्तेमाल करे.सहानुभूति और समझदारी का परिचय दे. यह जताए कि आपने उनकी बातो को गंभीरता से सुना है!

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