गुरू

*गुरु* इस शब्द का वज़न आज के दौर में बहुत हल्का रह गया है



आजकल लोग अपने समय , स्वार्थ , मतलब के अनुसार गुरु बोलते हैं किसी को , मगर मानते उसको भी नहीं

गुरु के दुआरा डाटतें समय वे गुरु उनको बहुत चुभता है
Training के लिए बोलने पर
समय पर आने के लिए बोलने पर
हमारी कमियाँ बताते समय वो गुरु हमें बिल्कुल पसंद नहीं आता

आजकल लोग बड़े आदमीं को अपना गुरु दिखाने की होड़ में रहते हैं
मगर गुरु वो होता है जो आपका हाथ उस समय पकड़ता है जब आपको किसी सहायक की सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी

सिर्फ़ अपने मतलब के लिए किसी को गुरु बोल देना इस शब्द की गरिमा ख़त्म करना है

WhatsApp Status, Facebook Status में गुरु उसको बताना जो celebrity है

मगर 

उधार पैसे माँगने, meeting दिलवाने, CC करवाने , सेमिनार करवाने के लिए गुरु कोई और

ये network marketing का सच है

*रमाकान्त आचरेकर* शायद बहुत कामयाब बल्लेबाज़ नहीं थे मगर Sachin Tendulkar के गुरु वही थे!

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